तुम्हारी याद को तो बस एक बहाना चाहिए
वो याद है तुमको जब coffee शॉप में उस बन्दे को देखा था हमने
तुमने कहा था जाना पहचाना सा है वो, उसे पहले भी कहीं देखा है
अब जब भी उसे देखता हूँ मैं , तो बस तुम याद आती हो......
वो याद है तुमको जब park में एक छोटा बच्चा खेल रहा था
तुम कैसे खिलखिलाकर हँस रही थी
अब जब भी किसी बच्चे को खेलते देखता हूँ मैं , तो बस तुम याद आती हो.....
वो याद है तुमको जब चौराहे की बेंच पे बैठे, हमने चुपचाप एक दूसरे से बात की थी
रात की ख़ामोशी बस साँसों की आवाज़ के रहम पर थी
अब जब भी साँस लेता हूँ मैं , तो बस तुम याद आती हो ।
तुम्हारी याद को तो बस एक बहाना चाहिए ....
2 comments:
so beautifully written. loved it. I liked the opening so so much.
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cheers
Kajal
Welcome to the blog and thanks for your appreciation Kajal :)
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