Vikram Pyati's Thoughts
Just some Thoughts
Pages
Home
My Favorites
Thursday, January 19, 2012
Phir wahi
वही नज़र वही शर्म
वैसा ही था खिलखिलाना
वही चाल वही ठहराव
वैसा ही था आँख चुराना
वही खुशबु वही आवाज़
उन आँखों में वही दास्ताँ
वही लोग वही एहसास
फिर से वही काला वीरान
वही हवा वही समां
हाँ सब कुछ वही तो था
वही घुटन वही जलन
हाँ सब कुछ वही तो था
Newer Posts
Older Posts
Home
Subscribe to:
Posts (Atom)